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Story
मिथिला की लोक संस्कृति मे नैना जोगिन नव वर-वधुओं को उन अनिष्टकारी शक्तियों एव बुरी नजरों से बचाने के निमित्त नव वर वधु के प्रथम शयन कक्ष (कोबर घर ) के चारो कोने मे चित्रित किया जाता है , जिनके प्रभाव मे आ एक नव - वर वधु के आपसी प्रेम और गृहस्थ जीवन मे समस्या पैदा होती हैं । इस तरह देखा जाय तो इस नैना जोगिन को साड़ी पर चित्रत कर मिथिला का लोक कलाकार का उद्देश इस साड़ी को पहनने वाली स्त्री के सुखी गृहस्थ आश्रम की कामना है ।
In the folk culture of Mithila, Naina Jogin is depicted in the four corners of the first bedroom (Kobar Ghar) of the newlyweds to protect the newlyweds and brides from evil forces and evil eyes, under whose influence a new bride and groom come. Problems arise in the mutual love and domestic life of the bride. If seen in this way, the purpose of the folk artist of Mithila by depicting this Naina Jogin on a sari is to wish for a happy householder's ashram of the woman wearing this sari.
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