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Story
मिथिला की लोक संस्कृति में मछली रूप लावण्यता के संग वंश वृद्धि का प्रतीक है । इसलिए मछली का चित्रण मिथिला के पारम्परिक कोहबर कक्ष में होता आया है । यह कक्ष मिथिला में नवविवाहित वर-वधु का प्रथम शयन कक्ष होता है । जहाँ से वह अपने नए गृहस्थ जीवन की शुरुआत करते हैं । आज के बदलते दौड़ में वैवाहिक जीवन में जीवन में मछली प्रेम सुख एवं समृद्धि को आकर्षित करता है ऐसा मिथिला में मान्यता है । इस साड़ी पर बने चित्रों के माध्यम से मिथिला का लोक चित्रकार यह कामना करता है की इस कला के कद्रदानों के वैवाहिक जीवन में खुशियां पंख फैलाये अपने साथ प्रेम, सुख, शांति और समृद्धि को लाये ।
In the folk culture of Mithila, the fish form is a symbol of family growth with elegance. That is why the depiction of fish has been done in the traditional Kohbar room of Mithila. This room is the first bedroom of the newly married bride and groom in Mithila. From where he starts his new household life. In today's changing race, fish love attracts happiness and prosperity in married life, it is believed in Mithila. Through the paintings made on this sari, the folk painter of Mithila wishes to spread happiness in the married life of the connoisseurs of this art and bring love, happiness, peace and prosperity with them.
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